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dhaan ki kheti

ऐसे मिले धान का ज्ञान, समझें गन्ना-बाजरा का माजरा, चखें दमदार मक्का का छक्का

ऐसे मिले धान का ज्ञान, समझें गन्ना-बाजरा का माजरा, चखें दमदार मक्का का छक्का

पैडी (Paddy) यानी धान, शुगरकैन (sugarcane) अर्धात गन्ना, बाजरा (millet) और मक्का (maize) की अच्छी पैदावार पाने के लिए, भूमि सेवक किसान यदि मात्र कुछ मूल सूत्रों को अमल में ले आएं, तो कृषक को कभी भी नुकसान नहीं रहेगा। यदि होगा भी तो बहुत आंशिक।

धान, गन्ना, जवार, बाजरा, मक्का, उरद, मुंग की अच्छी पैदावार : समझें अनुभवी किसानों से

स्यालू में धान (dhaan/Paddy)

स्यालू यानी कि खरीफ की मुख्य फसल (Major Kharif Crops) की यदि बात की जाए तो वह है धान (dhaan/Paddy/Rice)। इस मुख्य फसल की बीज या फिर रोपा (इसकी सलाह अनुभवी किसान देते हैं) आधारित रोपाई, जूलाई महीने में हर हाल में पूरा कर लेने की मुंहजुबानी सलाह किसानों से मिल जाएगी। 

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अच्छी धान के लिए कृषि वैज्ञानिकों के मान से धान (dhaan) के खेत (Paddy Farm) में यूरिया (नाइट्रोजन) की पहली तिहाई मात्रा का उपयोग धान रोपण के 58 दिन बाद करना हितकारी है। क्योंकि इस समय तक पौधे जमीन में अच्छी तरह से जड़ पकड़ चुके होते हैं। रोपण के सप्ताह उपरांत खेत में रोपण से वंचित एवं सूखकर मरने वाले पौधों वाले स्थान पर, फिर से पौधों का रोपण करने से विरलेपन के बचाव के साथ ही जमीन का पूर्ण सदुपयोग भी हो जाता है। 

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धान रोपण युक्ति

तकरीबन 20 से 25 दिन में तैयार धान की रोपाई खेत में की जा सकती है। इस दौरान पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेंटीमीटर तथा पौध से पौध की दूरी 10 सेमी रखने की सलाह कृषि वैज्ञानिक देते हैं। उत्कृष्ट उत्पादन के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किग्रा नाइट्रोजन (Urea), 60 किग्रा फास्फोरस, 40 किग्रा पोटाश और 25 किग्रा जिंक सल्फेट डालने की सलाह कृषि सलाहकारों की है। 

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गन्ने की खेती (Sugarcane Farming)

गले की तरावट, मद्य, मीठे गुड़ में मददगार शुगरकैन फार्मिंग (Sugarcane Farming), यानी गन्ने की खेती में भी कुछ बातों का ख्याल रखने पर दमदार और रस से भरपूर वजनदार गन्नों की फसल मिल सकती है। जैसे गन्ने की पछेती बुवाई (रबी फसल कटने के बाद) करने की दशा में, खेत में समय-समय पर सिंचाई, निराई एवं गुड़ाई अति जरूरी है। फसल कीड़ों-मकोड़ों और बीमारियों के प्रकोप से ग्रसित होने पर रासायनिक, जैविक या अन्य विधियों से नियंत्रित किया जा सकता है। ये भी पढ़ें: हल्के मानसून ने खरीफ की फसलों का खेल बिगाड़ा, बुवाई में पिछड़ गईं फसलें अत्यधिक वर्षा, तूफान या तेज हवा के दबाव में गन्ने के फसल जमीन पर बिछने/गिरने का खतरा मंडराता है। ऐसे में जुलाई-अगस्त के महीने में ही, दो कतारों मध्य कुंड बनाकर निकाली गई मिट्टी को ऊपर चढ़ाने से ऐहतियातन बचाव किया जा सकता है।

उड़द, मूंग में सावधानी

बारिश शुरू होते ही उड़द एवं मूंग की बुवाई शुरू कर देना चाहिए। अनिवार्य बारिश में देर होने की दशा में पलेवा कर इनकी बुवाई जुलाई के प्रथम पखवाड़े, यानी पहले पंद्रह दिनों में खत्म करने की सलाह दी जाती है। 

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उड़द, मूंग की बुवाई सीड ड्रिल या फिर अपने पुश्तैनी देसी हल से कर सकते हैं। इस दौरान ख्याल रहे कि 30-45 सेमी दूरी पर बनी पक्तियों में बुवाई फसल के लिए कारगर होगी। इसके साथ ही निकाई से पौधे से पौधे के बीच की दूरी 7 से 10 सेमी कर लेनी चाहिए। उड़द, मूंग की उपलब्ध किस्मों के अनुसार उपयुक्त बीज दर 15 से 20 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर मानी गई है। दोनों फसलों में प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किग्रा फास्फोरस तथा 20 किग्रा गंधक का मानक रखने की सलाह कृषि वैज्ञानिक एवं सलाहकार देते हैं।

भरपूर बाजरा (Bajra) उगाने का यह है माजरा

बाजरा के भरपूर उत्पादन के लिए कई प्लस पॉइंट हैं। अव्वल तो बाजरा (Bajra) के लिए अधिक उपजाऊ मिट्टी की जरूरी नहीं, बलुई-दोमट मिट्टी में यह पनपता है। इसकी भरपूर पैदावार के लिए सिंचित क्षेत्र के लिए नाइट्रोजन 80 किलोग्राम, फॉस्फोरस और पोटाश 40-40 किलोग्राम और बारानी क्षेत्रों के लिए नाइट्रोजन-60 किग्रा, फॉस्फोरस व पोटाश 30-30 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करने की सलाह जानकार देते हैं।


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सभी परिस्थितियों में नाइट्रोजन की मात्रा आधी तथा फॉस्फोरस एवं पोटाश पूरी मात्रा में तकरीबन 3 से 4 सेंमी की गहराई में डालना चाहिए। बचे हुए नाइट्रोजन की मात्रा अंकुरण से 4 से 5 हफ्ते बाद मिट्टी में अच्छी तरह मिलाने से फसल को सहायता मिलती है।

ज्वार का ज्वार, मक्का (Maize) का पंच

देशी अंदाज में भुंजा भुट्टा, तो फूटकर पॉपकॉर्न तक कई रोचक सफर से गुजरने वाले मक्के की दमदार पैदावार का पंच यह है, कि मक्का (Maize) व बेबी कॉर्न की बुवाई के लिए मानसून उपयुक्त माना गया है। उत्तर भारत में इसकी बुवाई की सलाह मध्य जुलाई तक खत्म कर लेने की दी जाती है। मक्के की ताकत की यही बात है कि इसे सभी प्रकार की मिट्टी में लगाया जा सकता है। हालांकि बलुई-दोमट और दोमट मिट्टी अच्छी बढ़त एवं उत्पादकता में सहायक हैं।


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जोरदार, धुआंधार ज्वार की पैदावार का ज्वार लाने के लिए बारानी क्षेत्रों में मॉनसून की पहली बारिश के हफ्ते भर भीतर ज्वार की बुवाई करना फलदायी है। ज्वार के मामले में एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुवाई के लिए 12 से 15 किलोग्राम ज्वार के बीज की जरूरत होगी।  

बरसात के साथ बढ़ेगी ठंड

बरसात के साथ बढ़ेगी ठंड

गुजरे दशकों में मध्य नवंबर के बाद हल्की और तेज बरसात के साथ ठंड का आगाज होता हैंं। 31 दिसंबर की आखिरी तारीख घने कोहरे के आगाज का पहला दिन होती है। इस बार बरसात को लेकर मौसम विभाग ने पूर्वानुमान जारी कर दिया है। इससे देश के अधिकांश हिस्सों में बूंदाबांदी और बरसात का योग बना हुआ है। बरसात से पछती धान की खेती वाले इलाकों में गेहूं की बिजाई का कार्य प्रभावित होगा वहीं सरसों की समय से बिजाई कर चुके किसानों को बेहद लाभ होगा। ये भी पढ़े : जानिए चने की बुआई और देखभाल कैसे करें

कब और कहां होगी बरसात

मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र बनने से कई राज्यों में बरसात की संभावना है। 18 से 19 तारीख के मध्य तमिलनाडु एवं तटीय आंध्र प्रदेश में भारी बरसात, छत्तीसगढ़ में 18 को हल्की बरसात, मध्य प्रदेश में हल्की बरसात की संभावना है। राजस्थान में 18 से 20 नवंबर के मध्य हल्की एवं मध्यम बरसात होने की संभावना बनी हुई है। 19—20 को गुजरात के कई इलाकों में हल्की एवं मध्यम बरसात होने की संभावना बनी हुई है। देश के अधिकांश राज्यों में हल्की एवं मध्यम बरसात होने के साथ ही तापमान में गिरावट होगी। ठंड का प्रभाव बढ़ना गेहूं की फसल के विकास के लिए आवश्यक होता है। इसी के चलते मध्य नवंबर के बाद मौसम बदलता है और ठंड में तेजी आती है।
18 लाख किसानों से सरकार ने खरीदा धान

18 लाख किसानों से सरकार ने खरीदा धान

धान खरीद में कई तरह की व्यावाहारिक दिक्कतों के बाद भी चालू खरीफ सीजन में धान की खरीद की गई है। चंडीगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल, जम्बू एवं कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, केरल, ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार सहित कई राज्यों में अभी भी खरीद जारी है।

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30 नवंबर, 2021 तक खरीफ विपणन मौसम 2021-22 में 290.98 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी है। यह खरीद चंडीगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, तेलंगाना, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में हुई है। सरकारी विज्ञाप्ति के अनुसार अब तक लगभग 18.17 लाख किसानों को 57,032.03 करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिला है।

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मौजूदा खरीफ विपणन मौसम में अधिकतम खरीद पंजाब (18685532 मीट्रिक टन) से हुई है। उसके बाद हरियाणा (5530596 मीट्रिक टन) और उत्तरप्रदेश (1242593 मीट्रक टन) से खरीद हुई है। अन्य राज्यों में भी खरीद जोर पकड़ रही है।